Th10/मारिसा के अंत

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३० जून, २०१६ को ख़त्म हुआ।

अच्छा अंत ४ (मारिसा-क)

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#0@0योकाई पर्वत।

#0@1तेंगु और काप्पा जैसे सबसे शक्तिशाली योकाई यहाँ रहते हैं।

#0@2पर्वत के योकाई इंसानों पर हमला नहीं करते,

#0@3लेकिन वे घुसपैठियों को बर्दाश्त भी नहीं करते।

#0@4इसके बावजूद, अपने सफलता से हौसला पाकर मारिसा बार-बार जाने लगी।

Nitori 

#0@5"कहा न, इंसानों को इससे आगे जाने की अनुमति नहीं है।"

Marisa 

#0@6"ऊ बड़ी बात नहीं है न?

  

#0@7तुमने हमको उस बार जाने दिया था।"

Nitori 

#0@8"जाने दिया था?

  

#0@9तुम्हारा मतलब तुम ज़बरदस्ती घुस आई थी।"

Marisa 

#0@10"तुमको पता था न कि हम एक देवी से लड़ने वाले थे।"

Nitori 

#0@11"तुम्हें वैसा ही एक कारण चाहिए पर्वत चढ़ने के लिए।

  

#0@12उस बार तुम्हें वो कारण मुझसे मुफ़्त में मिला था।

Marisa 

#0@13"देखा? ई बार भी वैसा ही है तो...."

Nitori 

#0@14"पर उससे अब लड़ने का कोई कारण नहीं है।"

Marisa 

#0@15"पर हमने उसे पिछली बार पूरी तरह नहीं हराया था।"

Nitori 

#0@16"तुम्हें और देवी यासाका से लड़ने की ज़रूरत नहीं है।

  

#0@17उन्होंने हमारे साथ समझौता कर लिया है।"

Marisa 

#0@18"क्या?"

Nitori 

#0@19"देवी यासाका हमारा बुरा करने नहीं आई हैं। दरअसल, उनके कारण हमारी हालत पहले से बहुत बेहतर है।

Marisa 

#0@20"मतलब? उसने कब्जा कर लिया क्या?"

Nitori 

#0@21"ये पर्वत एक दानव-देव का हुआ करता था।

  

#0@22पर वो गायब हो गए, और उनके साथ उनकी आस्था भी।"

Nitori 

#0@23"इसलिए दुनिया बहुत कम दिलचस्प हो गई थी।

  

#0@24तो हमने इस नई देवी का स्वागत कर लिया।

  

#0@25देवताओं के साथ हर दिन जश्न मनाना मज़ेदार नहीं है क्या?"

Marisa 

#0@26"जश्न....? आस्था का ई मतलब है क्या?"

Nitori 

#0@27"आस्था ही घनिष्ठता है। आज एक और जश्न है!"

#0@28पर्वत के योकाई अपने नई देवी के साथ मिलजुल कर रहते हैं।

#0@29मारिसा इस सब से अलग थी, इसलिए अकेली महसूस करने लगी।

#0@30फिर भी, पर्वत के नीचे, इंसानों और योकाइयों का रिश्ता हमेशा की तरह अच्छे थे।

#0@31शायद इसका मतलब इंसानों को योकाइयों में थोड़ी आस्था थी?

#0@32मारिसा देवालय में लौट गई, औत योकाई जश्न मनाते रहे।

#0@33

#0@33अंत ४ - पर्वतीय योकाई अपने मर्ज़ी के मालिक हैं।

  

#0@34ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!

अच्छा अंत ५ (मारिसा-ख)

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#0@0जादुई जंगल।

#0@1कोहरे से घिरा जंगल जिससे इंसान और योकाई दोनों दूर रहते हैं।

#0@2मारिसा यहीं रहती थी।

#0@3वह ये सारी लकड़ी क्यों इकट्ठा कर रही थी....?

Marisa 

#0@4"तो नास्तिक आस्था को नहीं समझ सकते क्या....

  

#0@5तो चलो, थोड़ी आस्था जागते हैं।

  

#0@6अपना एक छोटा सा देवालय बनाकर देखते हैं।

Marisa 

#0@7"....पर देवालय के अंदर क्या रखें?

  

#0@8हमने कभी हाकुरे देवालय के अंदर नहीं झाँका....

  

#0@9पर चूँकि ई एक देवता के रहने की जगह है,

  

#0@10शायद एक नन्हा सा तकिया रख देना चाहिए।

  

#0@11जिस देवी से हम अभी मिले थे, ऊ शायद यहाँ रह सकती है।

Kanako 

#0@12"ओए!"

Marisa 

#0@13"आाह!"

Kanako 

#0@14"यहाँ पर इतना गंदा तकिया मत रखो!"

Marisa 

#0@15"तुम कहाँ से आ गई?"

Kanako 

#0@16"अगर तुम एक देवालय को मेरा नाम प्रदान करती हो, तो वह एक शाखा बन जाती है जिसे मैं जब चाहे देखने आ सकती हूँ।

  

#0@17लगता है तुम मेरे लिए एक देवालय बनाना चाहती थी, पर इतने बदहाल देवालय में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है...."

Marisa 

#0@18"वैसा कहना बुरा है।"

Kanako 

#0@19"खैर, तुम्हारे जैसा इंसान इस ईरान जंगल में देवालय क्यों बना रहा है, जहाँ लोग नहीं आते?"

Marisa 

#0@20नई चीजें आजमाना अच्छा होता है।

  

#0@21इंसान यहाँ बहुत ज्यादा आए तो बुरा होगा न?

Kanako 

#0@22"हाँ, एक तरह से। भक्तों के लिए आना मुश्किल होगा।

Marisa 

#0@23"पर तुमने तो पर्वत के ऊपर देवालय बसाया है न?

  

#0@24कैसा इंसान उधर ऊपर तक जाएगा?

Kanako 

#0@25"कोई समस्या नहीं।

  

#0@26मेरा लक्ष्य था योकाइयों से आस्था इकट्ठी करना।

  

#0@27इंसानों की आस्था को मैं हाकुरे देवालय पर छोड़ देती...."

#0@28अंत में, मारिसा ने देवालय बनाने की इरादा छोड़ दी।

#0@29उसे देवालय बनाना नहीं आता था, और वह नहीं चाहती थी कि देवालय से निकलकर देवता उसे परेशान करें।

#0@30मारिसा ने बाद में कानाको को आस्था का मतलब समझाने के लिए कहा।

#0@31--और कानाको ने यह जवाब दिया।

#0@32"तुम जादू के बारे में जो सोचती हो ये वही है।"

#0@33

#0@33अंत ५ - बगीचों में देवालय के निर्माण से अच्छे किस्से बनते हैं।

  

#0@34ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!

अच्छा अंत ६ (मारिसा-ग)

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#0@0हाकुरे देवालय।

#0@1गेनसोक्यो के पूर्वी सीमा पर खड़ा देवालय।

#0@2देवालय के पेड़ पर्वतों की तुलना में ज़्यादा समय तक लाल रहे।

#0@3मारिसा उस देवालय में पहुँची, एक अजीब जोड़ी के साथ।

Marisa 

#0@4"--तो ई व्यक्ति एक देवी है, और वहाँ पर एक पुजारिन-जैसी औरत है।

Kanako 

#0@5"नमस्कार, मैं एक देवी हूँ।"

Sanae 

#0@6"क्या तुम्हें याद है? मैं ही थी जिसने कहा था कि तुम अपना देव बदल सकती हो....

Reimu 

#0@7"....तो? तुम लोग यहाँ क्यों हो?"

Marisa 

#0@8"हम सबने ने बातचीत की और एक समझौते पर आए।

  

#0@9अब इसे गलत मत समझना....

  

#0@10तो अपने देवालय को इस देवी के हवाले क्यों नहीं करती?

Kanako 

#0@11"आज़माकर क्यों नहीं देखती?"

Reimu 

#0@12"अब मारिसा भी मेरी दुश्मनों के साथ क्यों मिल गई है?"

Kanako 

#0@13"मैं तुम्हारी दुश्मन नहीं हूँ।

  

#0@14मैं बस तुम्हारे देवालय की मदद करना चाहती हूँ....।

  

#0@15इससे हम दोनों को लाभ होगा, एक अच्छा सौदा है न?

Sanae 

#0@16"हम बिलकुल ज़बरदस्ती नहीं करेंगे। निर्णय तुम्हारे हाथों में है।"

Marisa 

#0@17"शायद दिलचस्प हो।"

Kanako 

#0@18"मेरे रहते हुए ये ज़रूर दिलचस्प होगा।"

Sanae 

#0@19"देवालय का समय-समय पर देवता बदलना स्वाभाविक है।"

Reimu 

#0@20"क्या मैं अकेली हूँ जिसे ये सौदा पसंद नहीं?

  

#0@21"यहाँ तक की मारिसा भी...."

Marisa 

#0@22"हाँ, आखिरकार आगर ई एक देवालय जैसा बन गया तो हम उत्सव मना पाएँगे।"

Kanako 

#0@23"भोज में तुम सिर्फ़ मुझे आमंत्रित करोगी, वह भी ठीक है।"

Reimu 

#0@24"हाँ, तब शायद ठीक है....

  

#0@25अपने आप ही नए भक्तों को खोजना मुश्किल है।"

#0@26कानाको ने देवताओं और देवालयों का संबंध समझाया था।

#0@27इसलिए, मारिसा को लगा कि उसकी बातें वाजिब थीं।

#0@28देवालय देवता का घर होता है, और देवालय अपने में बसे देवता के हिसाब से ज़्यादा मनमोहक हो जाता है।

#0@29तो उसने सोचा कि देवालय को कानाको के हवाले करना अच्छा है। क्योंकि--

#0@30कानाको का आरामपसंद मिज़ाज मारिसा के साथ सही बैठता था।

#0@31और उसे लगा की वह वहाँ के योकाइयों के साथ मिलजुल पाएगी।

#0@32

#0@32अंत ६ - अब उस आक्रामक लालच को रोको।

  

#0@33ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!

बुरा अंत १० (मारिसा-क)

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#0@0अगली सुबह, हाकुरे देवालय में।

#0@1उस देवी के साथ लड़ाई में बुरी तरह हारने के बाद, मारिसा

#0@2चुपके से नीचे उतरी, ताकि तेंगु उसे वापस जाते देख न पाएँ।

Reimu 

#0@3"तुम थकी हुई लग रही हो। क्या कल कुछ हुआ था?"

Marisa 

#0@4"नहीं नहीं।

  

#0@5बस स्वादिष्ट ककड़ी खोजने पर्वत गए थे...."

#0@6मारिसा ने यह छिपा दिया कि वह पर्वत पर एक देवी से लड़ने गई थी।

#0@7और इस झूठ की वजह से--

#0@8वह स्वादिष्ट ककड़ी न बाँटने के कारण मुसीबत में पड़ गई।

#0@9अंत १० - झूठ बोलना बुरी बला है।

#0@10साधारण या उससे ऊपर 1cc करने की कोशिश कीजिए!

बुरा अंत ११ (मारिसा-ख)

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#0@0अगली सुबह, हाकुरे देवालय में।

#0@1उस देवी के साथ लड़ाई में बुरी तरह हारने के बाद, मारिसा

#0@2चुपके से नीचे उतरी, खो जाने का नाटक करते हुए।

Reimu 

#0@3"तुम थकी हुई लग रही हो। क्या कल कुछ हुआ था?"

Marisa 

#0@4"नहीं नहीं।

  

#0@5"बस तेंगुओं के एक मजेदार अफवाह के बारे में बताने गए थे...."

#0@6मारिसा ने यह छिपा दिया कि वह पर्वत पर एक देवी से लड़ने गई थी।

#0@7इसलिए अगले दिन के अख़बार में यह कहानी छपी थी।

#0@8--कि उसने एक देवी को जवाब दिया, और हर गई।

#0@9अंत ११ - विजेता ही अख़बार के लेख लिखते हैं।

#0@10साधारण या उससे ऊपर 1cc करने की कोशिश कीजिए!

बुरा अंत १२ (मारिसा-ग)

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#0@0अगली सुबह, हाकुरे देवालय में।

#0@1उस देवी के साथ लड़ाई में बुरी तरह हारने के बाद, मारिसा

#0@2चुपके से नीचे उतरी, तेंगुओं के देखते ही मरने का नाटक करते हुए।

Reimu 

#0@3"तुम थकी हुई लग रही हो। क्या कल कुछ हुआ था?"

Marisa 

#0@4"नहीं नहीं।

  

#0@5"पत्ते बहुत सुंदर थे, तो कुछ भयंकर पत्ते देखने में मगन हो गए थे...."

#0@6मारिसा ने यह छिपा दिया कि वह पर्वत पर एक देवी से लड़ने गई थी।

#0@7पर्वत गहरे लाल से रंगा था।

#0@8उस दिन दानमाकु ने झड़ते पत्तों के साथ नृत्य किया था।

#0@9अंत १२ - भयंकर पत्ते देखना?

#0@10साधारण या उससे ऊपर 1cc करने की कोशिश कीजिए!