Th11/रेमु के अंत

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०५ अगस्त २०१६ को ख़त्म हुआ।

अच्छा अंत १ (रेमु और युकारी)

Gnome-colors-gtk-edit.svg e06.msg.jdiff

#0@0हाकुरे देवालय।

#0@1गेनसोक्यो के पूर्वी सीमा पर खड़ा देवालय।

#0@2मंदिर के मैदान बर्फ़ से ढके थे।

#0@3यह शायद जमा हो गई थी जब पुजारिन भूगर्भ में थी।

Reimu 

#0@4"बर्फ़ हटाओ, ज़्यादा ज़्यादा बर्फ़ हटाओ....

  

#0@5मुझे एक रास्ता खोलना पड़ेगा।

  

#0@6नया साल आ रहा है, और शायद कुछ श्रद्धालु भी आ जाएँ।"

Reimu 

#0@7"....

  

#0@8यहाँ नए साल पर श्रद्धालुओं को आना चाहिए।

  

#0@9इस सारे बर्फ़ के बावजूद...."

Reimu 

#0@10"वैसे....

  

#0@11उस भूगर्भ के कौवे ने यातागारासु की शक्ति निगल ली।

  

#0@12वैसे शक्ति से हमें कई श्रद्धालु मिल सकते हैं....

  

#0@13और लगता है यहाँ के देवता को एक आसानी से समझ आने वाली शक्ति पसंद आएगी।"

Yukari 

#0@14"हैलो~"

Reimu 

#0@15"क्या? तुम मुझे डरा रही हो।"

Yukari 

#0@16"मैंने एक बिल्ली पकड़ी।"

Reimu 

#0@17"माँसाहारी राक्षसों का स्वाद अच्छा नहीं होता।"

Yukari 

#0@18"अरे, तुम्हें ये बिल्ली याद नहीं?"

Reimu 

#0@19"क्या?

  

#0@20अरे? क्या ये बिल्ली...."

Yukari 

#0@21"हाँ, तुम इसी बिल्ली से धधकती आग के नरक में लड़ी थी।"

Reimu 

#0@22"लेकिन क्यों? रुको, क्या तुम भूगर्भ में गई थी?"

Yukari 

#0@23"मुझे ये गीज़र के पास मिली। जानती हो इसका मतलब क्या है?"

Reimu 

#0@24"पता नहीं।"

Yukari 

#0@25"कितनी नालायक हो। गीज़र फूटा क्योंकि वो कौवा पागल हो गई थी।"

  

#0@26"लेकिन, बुरी आत्माएँ किसकी ग़लती हैं?"

Reimu 

#0@27"क्या इस बिल्ली की?"

Yukari 

#0@28"सही कहा। ये ज़रूर बिल्ली की ग़लती है।"

Reimu 

#0@29"आह। तुम हमेशा चीज़े अचानक बोल जाती हो।

  

#0@30मैं ठीक से समझी नहीं, पर उसे बस हराना है न?"

Yukari 

#0@31"सही कहा।

  

#0@32लेकिन, रेमु।"

Yukari 

#0@33"तुम उसे हराओगी कैसे?"

Reimu 

#0@34"वो ज़्यादा स्वादिष्ट तो नहीं होगी।"

Yukari 

#0@35"देखा, इसलिए यहाँ कोई श्रद्धालु नहीं आते।

  

#0@36इसे मंदिर में रखकर श्रद्धालुओं को आकर्षित करने की कोशिश क्यों नहीं करती?"

Reimu 

#0@37"हाँ, कहते हैं कि लोगों के समूह के वापस आने की संभावना ज़्यादा है।"

#0@38जिस बिल्ली को युकारी ने पकड़ा था, ओरिन, वह मंदिर में रही, जहाँ रेमु भी उस पर नज़र रख सकती थी।

#0@39ज़ाहिर है, वह अब भी सातोरी की पालतू जानवर थी, तो इसका मतलब था कि जब वह मंदिर आती थी, उसे खाना मिलता था।

#0@40ओरिन ने गीज़र के ज़रिए आत्माओं को ऊपर भेजा था, उसकी दोस्त, नरक के कौवे, के बारे में चेतावनी देने ज़मीनी योकाइयों को।

#0@41रेमु और युकारी समझ गए कि उसका कोई बुरा इरादा नहीं था, इसलिए उसे सज़ा नहीं दी।

#0@42लेकिन, ओरिन के ज़मीन पर आने के बाद, लोगों के शवों के

ग़ायब हो जाने की कई घटनाएँ हुईं, और ज़ाहिर है, गाँव में

मंदिर के काशा की अफ़वाहें फैलने लगीं।

#0@43अंत १ - "नरक की बिल्ली"

#0@44ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!

अच्छा अंत २ (रेमु और सुइका)



Gnome-colors-gtk-edit.svg e07.msg.jdiff

#0@0हाकुरे मंदिर।

#0@1गेनसोक्यो के पूर्वी सीमा पर खड़ा मंदिर।

#0@2मंदिर के मैदान बर्फ़ से ढके थे।

#0@3यह शायद जमा हो गई थी जब पुजारिन भूगर्भ में थी।

Utsuho 

#0@4"नहीं, ये सब होने से पहले ज़मीन की एक देवी मुझसे मिलने आई थी।"

Reimu 

#0@5"और उस देवी ने तुम्हें ये शक्ति दी?

  

#0@6किस तरह की देसी ऐसा काम कर सकती है?"

Utsuho 

#0@7"मुझे ये भी नहीं पता कि वो किसके पीछे पड़ी थी।

  

#0@8फिर भी, परमाणु संलयन के कई वैध उपयोग हैं।"

Reimu 

#0@9"इस देवी के बारे में थोड़ा और क्यों नहीं बताती?"

Utsuho 

#0@10"मुझे लगता है वो यहाँ के पर्वत से आई थी....

  

#0@11शायद वो पर्वत से और श्रद्धालु ढूँढ़ रही थी।"

Reimu 

#0@12"वो देवी पर्वत से आई थी?

  

#0@13तब तो शक के घेरे में सिर्फ़ दो लोग हैं...."

Reimu 

#0@14"तुम्हें क्या लगता है, सुइका?"

Suika 

#0@15"क्या?

  

#0@16अगर तुम्हें उतनी चिंता है, तो पर्वत में जाकर देखो।"

Reimu 

#0@17"उफ़।"

Suika 

#0@18"हमने गीज़र और आत्माओं का पता लगा लिया, मेरे लिए उतना काफ़ी है।"

Reimu 

#0@19"अरे हाँ, आत्माओं का क्या हुआ?"

Utsuho 

#0@20"तुम कह रही थी वो गीज़र से निकलकर आ रही थीं न? मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा...."

Suika 

#0@21"अरे, तुम नहीं समझी क्या?"

  

#0@22आत्माओं के पीछे जिसका हाथ था....

  

#0@23वो ज़रूर वो बिल्ली थी न?"

Utsuho 

#0@24"बिल्ली से तुम्हारा मतलब ओरिन?"

Suika 

#0@25"अरे हाँ, वही उसका नाम है न।"

Utsuho 

#0@26"ओरिन भला क्यों...."

Reimu 

#0@27"वो एक योअकी है न?"

Utsuho 

#0@28"ओरिन वैसी षड्यंत्र रचने वाली कपटी बिल्ली नहीं है।"

Suika 

#0@29"वैसे.... वो हमें कुछ बताना चाहती थी।

  

#0@30जैसे, शायद उसका दोस्त, नरक का कौवा, कुछ कर रही थी।

  

#0@31उसे पता नहीं चलता अगर भूगर्भ में कोई षड्यंत्र रच रहा था। तो क्यों न ज़मीन पर मदद माँगी जाए?

  

#0@32उफ़, कितनी नालायक हो। नासमझ।"

#0@33क्योंकि गीज़र उत्सुहो की ज़रूरत से ज़्यादा शक्ति के कारण फूटा था, वह नहीं रुका।

#0@34लेकिन रेमु के भूगर्भ में जाने के बाद से बुरी आत्माएँ ग़ायब हो गईं थी।

#0@35वह नहीं जानती थी कि सुइका का विवरण सही था या नहीं, लेकिन वह गीज़र के न रुकने से ख़ुश थी, और उसने ज़्यादा जाँच नहीं की।

#0@36लेकिन किसी और के बारे में उसे पूरा यकीन नहीं था।

#0@37कौन थी वह देवी जिसने उत्सुहो को संलयन शक्ति दी थी?

#0@38उसने ऐसा क्यों किया था?

#0@39रेमु ने थोड़ी देर आराम करने के बाद पर्वत पर जाने का फ़ैसला किया।

#0@40अंत २ - "मैं गर्म सोते में आराम करना चाहती हूँ।"

#0@41ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!

अच्छा अंत ३ (रेमु और आया)



Gnome-colors-gtk-edit.svg e08.msg.jdiff

#0@0हाकुरे मंदिर।

#0@1गेनसोक्यो के पूर्वी सीमा पर खड़ा मंदिर।

#0@2मंदिर के मैदान बर्फ़ से ढके थे।

#0@3यह शायद जमा हो गई थी जब पुजारिन भूगर्भ में थी।

Aya 

#0@4"हो गया! मैंने हमारे कारनामों के बारे में एक लेख लिखा।"

Reimu 

#0@5"नहीं पढ़ना चाहती।"

Aya 

#0@6"ये लो।"

Reimu 

#0@7"ठीक है, देखते हैं....?

  

#0@8अरे? 'हाकुरे मंदिर की पुजारिन, योकाई बिल्लियों के साथ खेलकर थक गई'

  

#0@9'रहस्यमय तीन टाँगों वालों वाली कौवा दिखाई दी'....???

  

#0@10फ़ालतू है। ये तीसरे दर्जे का योकाई अख़बार।"

Aya 

#0@11"पर फिर भी।"

Reimu 

#0@12"खैर।

  

#0@13तुम कह रही थी कि तुम्हें लगता है पर्वत के देवियाँ कुछ कर रहे हैं। तुम उसके बारे में लिखने वाली थी न?

  

#0@14उस लेख का क्या हुआ?"

Aya 

#0@15"आह, वो वाला....

  

#0@16मुझे लिखने के लिए ज़्यादा नहीं मिला, इसलिए उसे हटाना पड़ा।"

Reimu 

#0@17"क्यााा?

  

#0@18तो मेरे भूगर्भ में जाने का क्या मतलब रहा?"

Reimu 

#0@19"तो?

  

#0@20वो कैसी दिखती थी, जिसने तुम्हें संलयन शक्ति दी?"

Utsuho 

#0@21"मुझे सचमुच और याद नहीं....

Reimu 

#0@22"मंदबुद्धि कौवा। क्या उसने बताता कि वो किसके पीछे पड़ी थी?

  

#0@23मुझे ही ये क्यों करना पड़ता है? मुझे ही भूगर्भ में क्यों जाना पड़ता है?"

Aya 

#0@24"मेरे लेख लिखने से पहले तुम्हें जाँच तो करनी पड़ेगी।"

Reimu 

#0@25"क्या मतलब? मैं ये कर रही हूँ सिर्फ़ इसलिए क्योंकि तुम ये नहीं करना चाहती।"

Utsuho 

#0@26"ओ,मैंने सुना कि वो इसका शक्ति के पीछे पड़े थे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए।"

Reimu 

#0@27"शांतिपूर्ण उद्देश्य?"

Utsuho 

#0@28"परमाणु ऊर्जा पानी उबालने के काम आता है, और इससे ज़्यादा कचरा नहीं बनता, तो ये एक स्वच्छ ऊर्जा है।"

Reimu 

#0@29"शांतिपूर्ण उद्देश्य....मुझे पता है ये क्या है।"

Aya 

#0@30"क्या है वो?"

Reimu 

#0@31"ज़ाहिर है। गर्म सोते।"

Utsuho 

#0@32"और इससे तुम्हें मनचाहा गर्म सोता भी मिल सकता है।

  

#0@33पर अगर तुम सतर्क नहीं रही, तो ये भाप बनकर फट सकता है।"

Aya 

#0@34"वो सोता कम और ज्वालामुखी ज़्यादा लगता है।"

Reimu 

#0@35"अच्छा, तो ये बात है!"

  

#0@36पर्वत के देवी को गर्म सोता चाहे था, इसलिए उसने तुम्हें ये शक्ति दी।"

Aya 

#0@37अच्छा। तो मैं इसके बारे में एक लिख लिख दूँ?"

Utsuho 

#0@38"न जाने कौन ऐसा अख़बार पढ़ता है,

  

#0@39जिसमें बस ऐसी कहानियाँ हैं।"

#0@40तो कहानी इस शीर्षक के साथ अख़बार में छप गई। "विशेष! गीज़र और गर्म सोता-पसंद पर्वत की देवी"

#0@41पर्वत की सिर्फ़ दो ही देवियाँ हैं।

#0@42साँप (कानाको यासाका) और मेंढ़क (सुवाको मोरिया)।

#0@43इन देवियों की योजना आख़िर क्या थी?

#0@44रेमु ने मामले के शांत होने के बाद पर्वत पर जाने का फ़ैसला किया।

#0@45अंत ३ - "परमाणु गर्म सोता"

#0@46ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!

बुरा अंत ७ (रेमु और युकारी)



Gnome-colors-gtk-edit.svg e00.msg.jdiff

#0@0बर्फ़ीला हाकुरे मंदिर।

#0@1रेमु को नरक के गर्मी से यहाँ तक भागना पड़ा था।

#0@2वह गीज़र को भी रोक नहीं पाई थी।

Reimu 

#0@3"बाप रे। यकीन नहीं होता कि नरक उतना गर्म था।"

  

#0@4"मुझे अगली बार बेहतर तैयारियाँ करनी होंगी।"

#0@5रेमु ने गर्मी का सामना करने के लिए अपने यिन-यांग गोलों और शुद्धिकरण की छड़ी को जमा दिया और फिर निकल पड़ी।

#0@6

#0@6अंत ७ - "पहले अपने दिमाग को ठंडा करो"

#0@7बिना जारी रखे ख़त्म करने की कोशिश कीजिए!

बुरा अंत ८ (रेमु और सुइका)



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#0@0बर्फ़ीला हाकुरे मंदिर।

#0@1रेमु को नरक के गर्मी से भागकर यहाँ तक पड़ा था।

#0@2वह गीज़र को भी नहीं रोक पाई थी।

Reimu 

#0@3"बाप रे। वो ऊँचा तापमान वाला दानमाकु बर्दाश्त के बाहर था!

  

#0@4उसे हराने के लिए मुझे उसे सोते में डुबाना पड़ेगा!"

#0@5रेमु वापस भूगर्भ में नहीं जाना चाहती थी।

#0@6पर, कहने की ज़रूरत नहीं पर सुइका ने उसे आराम करने नहीं दिया।

#0@7

#0@7अंत ८ - "तो हाथों का पसीना गर्म सोते में साफ़ करो...."

#0@8बिना जारी रखे ख़त्म करने की कोशिश कीजिए!

बुरा अंत ९ (रेमु और आया)



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#0@0बर्फ़ीला हाकुरे मंदिर।

#0@1रेमु को नरक के गर्मी से भागकर यहाँ तक पड़ा था।

#0@2वह गीज़र को भी नहीं रोक पाई थी।

Reimu 

#0@3"बाप रे। नरक के कौवे आख़िर कौवे ही हैं न?

  

#0@4लगता है कौवे तेंगु भी उनके दोस्त हैं।"

#0@5रेमु ने एक कौवे के तरफ़ यिन-यांग का गोला फेंका।

#0@6ज़ाहिर है, ये नरक के कौवे को हराने का एक कमज़ोर विकल्प था।

#0@7

#0@7अंत ९ - "लेकिन तुम कुछ चीज़ों से भाग नहीं सकती।"

#0@8बिना जारी रखे ख़त्म करने की कोशिश कीजिए!