Th12/रेमु के अंत

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१२ फरवरी, २०१७ को ख़त्म हुआ।

अच्छा अंत १ (रेमु-क)

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#0@0हाकुरे देवालय।

#0@1गेनसोक्यो के पूर्वी सीमा पर खड़ा देवालय।

#0@2देवालय के मैदान में बर्फ़ की बस थोड़ी सी छाया थी।

#0@3चेरी ब्लॉसम जल्द ही खिलने वाले थे।

Reimu 

#0@4"माकाई कितना डरावना था....।

  

#0@5वो जहाज़ कोई ख़ज़ाने की जहाज़ नहीं थी, बस एक योकाई जहाज़ जो माकाई की ओर जा रही थी।

  

#0@6शर्म की बात है.... और वो बिलकुल ख़ाली थी।"

Marisa 

#0@7"ऐसा क्या? रुको, तुम माकाई गई थी?"

Reimu 

#0@8"होक्काई नामक एक जगह, माकाई के देहाती इलाक़ों में।"

Marisa 

#0@9"खैर, अगर ऊ एक खजाने का जहाज नहीं था तो हमको उसमें खास दिलचस्पी नहीं।

  

#0@10तो, जहाज का क्या हुआ?"

Reimu 

#0@11"कहते हैं वो वहीं कहीं तैर रहा है। तुमने उसे देखा नहीं?"

Marisa 

#0@12"अरे, हमारी शीतनिद्रा ठीक से नहीं हुई। उसे देखा तो नहीं।"

Reimu 

#0@13"जब वो अगली बार नज़र आएगा, मैं उसमें दोबारा चढ़ूँगी।"

#0@14अगले दिन, रेमु ने जहाज़ को आकाश में उड़ते हुए देखा और उस पर चढ़ गई।

Reimu 

#0@15"आख़िरकार ढूँढ़ लिया। तुम सब फिर भी क्यों उड़ रहे हो?"

Byakuren 

#0@16"इस प्रकार उड़ने से मुझे लगता है जैसे मेरा पुनर्जन्म हुआ है....। ये माकाई से बहुत बेहतर है।"

Minamitsu 

#0@17"हाँ, इसलिए हम सोच रहे हैं कि क्यों न इसे एक गेनसोक्यो पर्यटक जहाज़ बना दें।"

Reimu 

#0@18" पर्यटक.... तुम सब भला कहाँ रहते हो?"

Byakuren 

#0@19"वर्षों पहले मैं जिस मंदिर में रहती थी वो अब नहीं है।

  

#0@20वैसे, कहीं भी रहने से चलेगा, देखा जाए तो।"

Minamitsu 

#0@21"ये पवित्र पालकी और मेरे साथी इचिरिन और शो के साथ कई सालों तक ज़मीन के नीचे क़ैद था।"

Minamitsu 

#0@22"हम पिछले साल के अंत में आख़िरकार आज़ाद हुए। जब तक हमें रहने की जगह नहीं मिलती, हम जहाज़ पर रहेंगे।"

Byakuren 

#0@23"तो ठीक है।

  

#0@24मुझे नहीं लगता कि इस तरह भटकते रहने से मुझे कोई आपत्ति है।

  

#0@25बस आकाश में उड़ते रहना...."

Reimu 

#0@26"ओए, तुम इस तरह हमेशा के लिए नहीं उड़ सकती।

  

#0@27ये जहाज़ हर जगह अपनी विशाल परछाई फैलाएगी।"

Byakuren 

#0@28"सो तो है। तो हम अपने पर्यटन का हर तीसरा दिन धरती पर बिताते हैं।"

Minamitsu 

#0@29"चलेगा!"

#0@30रेमु ने सुझाव दिया कि वो लोगों को आकर्षित करने के लिए जहाज़ को ख़ज़ाने के जहाज़ की तरह सजाएँ।

#0@31ब्याकुरेन सहमत हुई और आसानी से मान गई।

#0@32इस तरह, गेनसोक्यो के ऊपर उड़ते ख़ज़ाने के जहाज़ की अफ़वाहें कम से कम कुछ समय के लिए सच हो गईं।

#0@33ख़ज़ाने का जहाज़ इंसानों और योकाइयों दोनों को खूब पसंद आई।

#0@34कभी-कभी इंसान और योकाई एक साथ जहाज़ पर होते, पर योकाइयों ने कभी उनका विनाश नहीं किया।

#0@35ब्याकुरेन हैरान थी कि दुनिया कितना बदल गया है। योकाइयों का विनाश नहीं हो रहा था।

#0@36रेमु समझ नहीं पाई कि ब्याकुरेन फिर भी चौकन्नी क्यों थी,

#0@37पर उसे अंदाज़ा था कि उसे क़ैद क्यों किया गया होगा।

#0@38वह बहुत शक्तिशाली थी और वह इंसान और योकाई दोनों की सहायता करती। इसलिए इंसानों ने ग़ुस्से से उसे क़ैद कर दिया।

#0@39पर अब कोई शक्तिशाली इंसानों से नहीं डरने वाला था।

#0@40ब्याकुरेन और उसके साथियों को फिर कभी क़ैद नहीं किया जाएगा।

#0@41

#0@41अंत १ - गेनसोक्यो के वसंत का पर्यटक जहाज़

#0@42ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!

अच्छा अंत २ (रेमु-ख)

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#0@0हाकुरे देवालय।

#0@1गेनसोक्यो के पूर्वी सीमा पर खड़ा देवालय।

#0@2देवालय के मैदान में बर्फ़ की बस थोड़ी सी छाया थी।

#0@3चेरी ब्लॉसम जल्द ही खिलने वाले थे।

Byakuren 

#0@4"क्या ये तुम्हारा देवालय है?"

Reimu 

#0@5"आ, मुझे इस तरह डराओ मत!

  

#0@6तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

Byakuren 

#0@7"देवताओं और बुद्ध को भी एक दूसरे को सम्मान देना चाहिए।"

Reimu 

#0@8"हाँ... बिलकुल।"

Byakuren 

#0@9"इस देवालय में.... कोई भी पूजा करने नहीं आता न?"

Reimu 

#0@10"क्या। त-तुम्हें ऐसा क्यों लगता है?"

Byakuren 

#0@11"वैसे, यहाँ का देवता बहुत क्रोधित है।"

Reimu 

#0@12"क्या?!"

Byakuren 

#0@13"शायद योकाई विनाश करने के बजाय तुम्हें श्रद्धालुओं को लाने पर ध्यान देना चाहिए।"

Reimu 

#0@14"ख़-ख़ैर, तुम माकाई में रहती हो न? क्या इस तरह जाना-आना सुरक्षित है?"

Byakuren 

#0@15"मैं भी यहाँ से ही हूँ, मुरासा और औरों के जैसे।

  

#0@16मैं यहाँ आई हूँ शांति से रहने की विधि खोजने के लिए।"

Reimu 

#0@17"शांति से मतलब?"

Byakuren 

#0@18"तुम्हारे अकेले ख़ाली देवालय को देखकर मेरा मन बन गया।

  

#0@19मैं सोचा है कि मैं एक मंदिर बनाऊँगी।"

Reimu 

#0@20"योकाई.... एक मंदिर में शांति से रहेंगे?"

Byakuren 

#0@21"हाँ, हम बोध के खोज में हिंसा को त्याग देंगे।"

Reimu 

#0@22"अच्छा।"

Byakuren 

#0@23"इस सबके बाद भी मुझे बौद्ध धर्म पर विश्वास है।

  

#0@24हम भक्त बढ़ाकर धीरे-धीरे विश्व का सबसे महान बौद्ध मंदिर बन जाएँगे।"

  

#0@25और हाँ.... मैं मंदिर को अपने भाई का नाम दूँगी....

  

#0@26उसका नाम होगा म्योरेन मंदिर!"

Reimu 

#0@27"ओए, क्या तुम मेरी प्रतिद्वंद्वी बनने की कोशिश कर रही हो?

  

#0@28मैं तुम्हें आसानी से नहीं जीतने दूँगी।

Byakuren 

#0@29"प्रतिद्वंद्वी? मैं योकाइयों का विनाश नहीं करने वाली।

  

#0@30मैंने सदैव योकाइयों को मोक्ष का हाथ बढ़ाया है।

  

#0@31उन बेचारे योकाइयों को जिन पर पुजारिन ने अत्याचार किए हैं...."

#0@32आकाश में उड़ता जहाज़ इंसानी गाँव के पास उतरा और एक पुराने गोदाम में बदल गया।

#0@33वह गोदाम को एक छोटा सा मंदिर बना दिया गया।

#0@34उसे नाम दिया गया "म्योरेन मंदिर"।

#0@35(तथाकथित) ख़ज़ाने के जहाज़ के उतरने और मंदिर में बदलने से गाँव में हड़कंप मच गया।

#0@36अफ़वाहें फैलने लगीं कि "ये लोग भाग्यशाली हैं" और "यहाँ एक ज़बरदस्त बोधिसत्व है।", जिससे मंदिर और प्रसिद्ध हो गया।

#0@37इसे मूल रूप से योकाइयों के लिए बनाया गया था, पर क्योंकि ब्याकुरेन इंसानों और योकाइयों में भेदभाव नहीं करती थी, मंदिर में सब का स्वागत था।

#0@38सिर्फ़ उन इंसानों को छोड़कर जो ख़ज़ाने के खोज में आते थे।

#0@39इसमें हैरानी नहीं कि ब्याकुरेन के भक्तों की संख्या को बढ़ते देख रेमु सदमे में थी।

#0@40

#0@40अंत २ - म्योरेन मंदिर आकाश से टपका।

#0@41ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!

बुरा अंत ७ (रेमु-क)

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#0@0माकाई का हिस्सा, होक्काई।

#0@1रेमु को ब्याकुरेन ने पकड़ लिया और वह वापस घर नहीं लौट पाई।

#0@2आसपास के प्राणी सिर्फ़ योकाई थे....

Reimu 

#0@3"क्या है ये, ये कोई आम योकाई नहीं हैं। मुझे घर लौटकर तैयारी करनी होगी नहीं तो मैं जीत नहीं सकती।"

#0@4रेमु ने आसपास के योकाइयों को लड़ाई बंद किया और वापस लौटने को प्राथमिकता दी।

#0@5

#0@5अंत ७ - माकाई पर आक्रमण करने से पहले ज़्यादा से ज़्यादा आइटम इकट्ठा करो।

#0@6एक क्रेडिट क्लियर करने की कोशिश कीजिए!

बुरा अंत ८ (रेमु-ख)

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#0@0माकाई का हिस्सा, होक्काई।

#0@1रेमु को ब्याकुरेन ने पकड़ लिया और वह वापस घर नहीं लौट पाई।

#0@2वह उस जहाज़ को ढूँढ़ने लगी जो उसे वहाँ लाई थी, पर....

Reimu 

#0@3"इस पुराने टूटे-फूटे जहाज़ में वापस जाने का ईंधन क्यों नहीं है?!

  

#0@4मैं देवालय को ज़्यादा दिनों तक ऐसे ही नहीं छोड़ सकती।"

#0@5रेमु ने प्रयत्न-त्रुटि विधि से उसे चलाने की कोशिश की।

#0@6पर वह इसे उड़ाने में नाकाम रही।

#0@7

#0@7अंत ८ - क्या बाहर की यात्रा सुरक्षित थी?

#0@8एक क्रेडिट क्लियर करने की कोशिश कीजिए!