२५ फरवरी, २०१८ को ख़त्म हुआ।
अच्छा अंत ७
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#0@0 परलोक की हवेली, हाकुग्योरोकु।
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#0@1 योमु युयुको साइग्योजी को हाल के घटनाओं का विवरण दे रही थी।
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#0@2 योमु को समझ नहीं आ रहा था कि दिव्य आत्माओं की संख्या घट क्यों रही थी।
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#0@3 फिर भी, योमु अपने बहादुरी की कहानी सुनना चाहती थी।
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Yuyuko
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#0@4 "क्यााा? ये क्या?
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#0@5 तुमने एक १४०० वर्ष पुराने इंसान को पुनर्जीवित किया?
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#0@6 मुझे ईर्ष्या हो रही है~।"
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Youmu
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#0@7 "क्या? ये आपकी प्रतिक्रिया है?"
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Yuyuko
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#0@8 "हाँ, सही कहा।
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#0@9 क्योंकि उसका पुनर्जीवन हुआ? कितना अद्भुत है।"
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Youmu
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#0@10 "अँ, हाँ ठीक है।"
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Yuyuko
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#0@11 "तो, उसने कैसा जादू का उपयोग किया?"
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Youmu
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#0@12 "उसमें एक बार मरने के बाद एक अमर "शिकाइसेन"
के रूप में पुनर्जीवित होना शामिल था...."
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Yuyuko
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#0@13 "शिकाइसेन! ये मुझे आज़माना होगा!"
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Youmu
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#0@14 "क्या आपको इस विधि की जानकारी है, युयुको जी?"
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Yuyuko
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#0@15 "पता नहीं, पर मुझे विश्वास है मैं ये कर सकती हूँ!"
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#0@16 कुछ समय बाद....
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#0@17
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Youmu
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#0@17 "युयुको जी, शिकाइसेन पुनर्जीवन कैसा रहा?"
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Yuyuko
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#0@18 "थक गई।"
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Youmu
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#0@19 "आह..."
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Yuyuko
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#0@20 "योमु।"
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Youmu
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#0@21 "हाँ?"
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Yuyuko
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#0@22 "इसकी सफ़ाई करो।"
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Youmu
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#0@23 "अभी करती हूँ।"
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Yuyuko
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#0@24 "अपना पुनर्जीवन करना सचमुच मुश्किल है...."
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Youmu
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#0@25 "....तो क्या मुझे शिकाइसेन पर जानकारी एकत्र करना चाहिए? अगली बार के लिए?"
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Yuyuko
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#0@26 "जैसा मैंने कहा, मैं थक गई हूँ। शुभरात्रि।"
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#0@27 युयुको एक भूत राजकुमारी थी।
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#0@28 लेकिन इसके बावजूद एक इंसान की तरह वह खाने का
मज़ा ले और आराम कर सकती थी, बिना किसी तकलीफ़ के।
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#0@29 तो उसे पुनर्जीवित होने की इतनी चाहत क्यों थी, यह योमु को समझ नहीं आ रहा था।
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#0@30 समझने की बात करें तो, योमु अपने दुश्मनों को भी नहीं समझी थी।
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#0@31 वे सभी अमरता के खोज कर रहे थे।
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#0@32 क्या अमरता सचमुच इतना आकर्षक था?
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#0@33 अमरता की इच्छा रखने वालों और न रखने वालों के बीच क्या अंतर था?
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#0@34 शायद उनके प्रतिष्ठा की भावना अंतर का कारण थी?
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#0@35 इन लड़कियों को इसमें क्या ख़ास दिखता था?
योमु सोती हुई युयुको को देख यही सोच रही थी।
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#0@36 अंत ७ - एक आलसी मालकिन एक बड़ा सिरदर्द है।
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#0@37 ऑल क्लियर करने पर बधाई हो! जैसा मैंने सोचा था!
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समांतर अंत ८
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#0@0 परलोक।
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#0@1 मृत्यु के बाद आत्माओं के बसने की दुनिया।
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#0@2 अत्यंत विशाल और ख़ाली। ज़रूरत से ज़्यादा विशाल।
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Yuyuko
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#0@3 "क्या हुआ?"
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Youmu
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#0@4 "युयुको जी, मुझे कुछ एहसास हुआ।"
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Yuyuko
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#0@5 "अरे, कि तुमने बग़ीचा साफ़ नहीं किया है? बस अभी एहसास हुआ?"
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Youmu
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#0@6 "....आह, नहीं। वो बात नहीं।"
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Yuyuko
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#0@7 "तो क्या?"
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Youmu
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#0@8 "बात ये है कि, मैं एक संन्यासी हूँ।"
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Yuyuko
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#0@9 "क्या?"
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Youmu
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#0@10 "इस युद्ध से मुझे एहसास हुआ। कि मैं हमेशा से एक संन्यासी थी।"
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Yuyuko
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#0@11 "अरे अरे, मैं अब क्या करूँ, वसंत का मौसम योमु पर असर करने लगा है।"
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Youmu
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#0@12 "मैं झूठ नहीं बोल रही।
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#0@13 साबित करने के लिए, मैं आकाश में उड़ूँगी।"
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Yuyuko
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#0@14 "अरे, तुम्हें मुझे भी चकित कर दिया।"
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#0@15 बार बार दोहराकर (?) योमु ने ख़ुद को मना लिया था
कि वह एक वह सचमुच एक संन्यासी है।
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#0@16 ज़ाहिर है, वह एक संन्यासी नहीं थी, और यह मौसम
का असर भी नहीं था, यह एक अस्थायी बुख़ार थी।
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#0@17 युयुको को इसमें मज़ा आ रहा था,
तो उसने पूरे गेनसोक्यो घूमकर लोगों को इसके बारे में बताया।
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#0@18 वह इधर जाकर बोलने लगी, "देखो, मेरी योमु एक संन्यासी है!"
वह उधर जाकर बोली "आओ, अलौकिक शक्तियाँ देखो!"
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#0@19 जब योमु की तबियत ठीक हुई, इस घटना के बारे
में सोचकर वह अपनी शर्मिंदगी को सहन नहीं कर सकी।
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#0@20 एक बार फिर, उसने माना कि युयुको से उसका कोई मुक़ाबला नहीं।
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#0@21 अंत ८ - आप बहुत बुरी हैं, युयुको जी।
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#0@22 ये एक समांतर अंत है! बधाई हो!
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बुरा अंत १२
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#0@0 वह मक़बरा जहाँ मिको निद्रा में थी।
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#0@1 जीत हासिल हुई थी, पर भारी नुक़सान के साथ।
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Youmu
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#0@2 "मेरे दुश्मन का आत्माओं से कोई संबंध नहीं था न।
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#0@3 मेरे लिए ये दुश्मन नहीं है।
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#0@4 शायद मुझे बग़ीचे का ही ध्यान रखना चाहिए...."
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#0@5 योमु को अपने ख़राब प्रदर्शन पर खेद था।
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#0@6 पर बग़ीचे का ध्यान रखने में उसे संतुष्टि नहीं मिली।
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#0@7
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#0@7 अंत १२ - तो, क्यों न फिर से लड़ा जाए?
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#0@8 एक क्रेडिट क्लियर करने की कोशिश कीजिए!
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